देवता यदि रुष्ट हो जाए, तो गुरु रक्षा करते हैं, लेकिन यदि गुरु रुष्ट हो जाए तो कोई भी रक्षा नहीं कर सकता। केवल गुरु ही रक्षक हैं, केवल गुरु ही रक्षक हैं, केवल गुरु ही रक्षक है। और इसमें कोई संशय नहीं है....
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